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आज होगा प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेले का आयोजन, क्षेत्र में पुलिस फोर्स तैनात, जानिये क्या है मान्यता - Bunkhal kalinka mela

पाबौ ब्लॉक में प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेले को लेकर तैयारियां (Preparations completed for Bunkhal mela) पूरी हो गई हैं. सुरक्षा के लिहाज से एसएसपी ने मेला क्षेत्र को दो सेक्टरों में बांटा (Fair area divided into two sectors) है. पूरे मेला क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. मेले के शुभारंभ कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत(Cabinet Minister Dhan Singh Rawat) बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे.

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कल होगा प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेले का आयोजन
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Published : Dec 2, 2022, 7:44 PM IST

Updated : Dec 3, 2022, 8:21 AM IST

पौड़ी: जिले के पाबौ ब्लॉक के आयोजित होने वाले प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेले (Pauri famous Bunkhal kalinka mela ) को लेकर क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. किसी समय में पशुबलि के लिए प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेले को लेकर आज भी जिला प्रशासन कोई कोर कसर छोड़ने के मूड में नहीं है. हालांकि, अब पशुबलि को साप्तविक मेले के रूप दे दिया गया है. मेले के शांतिपूर्ण संपन्न करने को लेकर एसएसपी ने पूरे क्षेत्र को दो सेक्टरों में बांटा है. मेला क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. मेले में क्षेत्रीय विधायक और काबीना मंत्री डा. धनसिंह रावत बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे.

पाबौ ब्लॉक का प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेला (Bunkhal kalinka mela) शनिवार 3 दिसंबर यानी आज आयोजित होगा. जिसके लिए जिला और पुलिस प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. किसी समय यह मेला अपने पशुबलि के लिए प्रसिद्ध था. तब पशुबलि को रोकने के लिए कई सामाजिक संगठनों द्वारा जनजागरूता अभियान चलाकर बमुश्किल उसे साप्तविक पूजा और मेला का भव्य रूप प्रदान किया गया, जो कि अब क्षेत्र में पूरे सौहार्द के साथ आयोजित होता है. इसके बाद भी जिला व पुलिस प्रशासन किसी भी प्रकार की कोताही बरतने को तैयार नहीं है.
पढ़ें- IMA POP: 69 ACC कैडेट्स को मिली ग्रेजुएट की उपाधि, POP में जनरल मनोज पांडे होंगे चीफ गेस्ट

एसएसपी श्वेता चौबे (SSP Shweta Choubey) ने क्षेत्र में भारी पुलिस बल को तैनात किया है. मेले की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के चाक चौबंद करने के लिए उसे 2 सेक्टरों में बांटा है. जिसमें एक कोतवाल समेत 2 महिला व 4 पुरूष एसआई, 1 यातायात एसआई, 7 मुख्य आरक्षी, 24 आरक्षी, 4 महिला आरक्षी, 18 होमगार्ड तथा 20 पीआरडी जवानों को तैनात किया गया है.
पढ़ें- अपणुं उत्तराखंडः दिनभरै खास खबर, एक नजर मा

धन सिंह रावत करेंगे शिरकत: जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय विधायक और काबीना मंत्री डा. धन सिंह रावत मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे. मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से बहुद्देशीय शिविर भी लगाये जाएंगे. जिसमें लोगों को सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी जाएंगी. बता दें बूंखाल कालिंका का प्रसिद्ध मेला राठ क्षेत्र के गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों की आस्था का मेला है. इस दिन ग्रामीण देवी को आस्था के पुष्प अर्पित करते हैं. कभी यहां पशु बलि होती थी लेकिन अब सिर्फ सात्विक पूजा ही होती है. इस मेले का इतिहास गोरखाकाल से जुड़ा है.

क्या है मान्यता: किवदंती के अनुसार गाय चुगाते वक्त बच्चों ने शरारत में एक बालिका को खड्ड में दबा दिया. इसके बाद वे अपने घर चले गए, लेकिन बालिका वहीं दबी रह गई. रात्रि में वह गांव के प्रधान के सपने में जानकर घटना बताती है और कहती है कि उसने काली का रूप ले लिया है. उसका मंदिर निर्मित कर उनकी पूजा शुरू करो. काली का मंदिर बनने के बाद वह आवाज देकर लोगों को हर घटना की जानकारी देती थी. इस बीच, गोरखाओं ने आक्रमण किया तो वह गांव में पहुंचने से पहले आवाज देकर गोरखाओं की सूचना दे देती. गोरखाओं ने तंत्र से खड्ड में दबी देवी को उलटा कर दिया. तब से आवाज बंद हुई. कालिंका के इसी खड्ड में पहले सैकड़ों की तादाद में पशु बलि दी जाती थी. माना जाता था कि बलि के बाद देवी की कृपा प्राप्त होती है. वर्ष 2011 से पशुबलि बंद हो चुकी है. अब गांव ग्रामीण मेले के दिन ढोल-दमाऊ, निसांण और डोली लेकर मंदिर में सात्विक पूजा-अर्चना करते हैं.

पौड़ी: जिले के पाबौ ब्लॉक के आयोजित होने वाले प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेले (Pauri famous Bunkhal kalinka mela ) को लेकर क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. किसी समय में पशुबलि के लिए प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेले को लेकर आज भी जिला प्रशासन कोई कोर कसर छोड़ने के मूड में नहीं है. हालांकि, अब पशुबलि को साप्तविक मेले के रूप दे दिया गया है. मेले के शांतिपूर्ण संपन्न करने को लेकर एसएसपी ने पूरे क्षेत्र को दो सेक्टरों में बांटा है. मेला क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. मेले में क्षेत्रीय विधायक और काबीना मंत्री डा. धनसिंह रावत बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे.

पाबौ ब्लॉक का प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेला (Bunkhal kalinka mela) शनिवार 3 दिसंबर यानी आज आयोजित होगा. जिसके लिए जिला और पुलिस प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. किसी समय यह मेला अपने पशुबलि के लिए प्रसिद्ध था. तब पशुबलि को रोकने के लिए कई सामाजिक संगठनों द्वारा जनजागरूता अभियान चलाकर बमुश्किल उसे साप्तविक पूजा और मेला का भव्य रूप प्रदान किया गया, जो कि अब क्षेत्र में पूरे सौहार्द के साथ आयोजित होता है. इसके बाद भी जिला व पुलिस प्रशासन किसी भी प्रकार की कोताही बरतने को तैयार नहीं है.
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एसएसपी श्वेता चौबे (SSP Shweta Choubey) ने क्षेत्र में भारी पुलिस बल को तैनात किया है. मेले की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के चाक चौबंद करने के लिए उसे 2 सेक्टरों में बांटा है. जिसमें एक कोतवाल समेत 2 महिला व 4 पुरूष एसआई, 1 यातायात एसआई, 7 मुख्य आरक्षी, 24 आरक्षी, 4 महिला आरक्षी, 18 होमगार्ड तथा 20 पीआरडी जवानों को तैनात किया गया है.
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धन सिंह रावत करेंगे शिरकत: जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय विधायक और काबीना मंत्री डा. धन सिंह रावत मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे. मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से बहुद्देशीय शिविर भी लगाये जाएंगे. जिसमें लोगों को सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी जाएंगी. बता दें बूंखाल कालिंका का प्रसिद्ध मेला राठ क्षेत्र के गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों की आस्था का मेला है. इस दिन ग्रामीण देवी को आस्था के पुष्प अर्पित करते हैं. कभी यहां पशु बलि होती थी लेकिन अब सिर्फ सात्विक पूजा ही होती है. इस मेले का इतिहास गोरखाकाल से जुड़ा है.

क्या है मान्यता: किवदंती के अनुसार गाय चुगाते वक्त बच्चों ने शरारत में एक बालिका को खड्ड में दबा दिया. इसके बाद वे अपने घर चले गए, लेकिन बालिका वहीं दबी रह गई. रात्रि में वह गांव के प्रधान के सपने में जानकर घटना बताती है और कहती है कि उसने काली का रूप ले लिया है. उसका मंदिर निर्मित कर उनकी पूजा शुरू करो. काली का मंदिर बनने के बाद वह आवाज देकर लोगों को हर घटना की जानकारी देती थी. इस बीच, गोरखाओं ने आक्रमण किया तो वह गांव में पहुंचने से पहले आवाज देकर गोरखाओं की सूचना दे देती. गोरखाओं ने तंत्र से खड्ड में दबी देवी को उलटा कर दिया. तब से आवाज बंद हुई. कालिंका के इसी खड्ड में पहले सैकड़ों की तादाद में पशु बलि दी जाती थी. माना जाता था कि बलि के बाद देवी की कृपा प्राप्त होती है. वर्ष 2011 से पशुबलि बंद हो चुकी है. अब गांव ग्रामीण मेले के दिन ढोल-दमाऊ, निसांण और डोली लेकर मंदिर में सात्विक पूजा-अर्चना करते हैं.

Last Updated : Dec 3, 2022, 8:21 AM IST

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